माननीय न्यायालयों के आदेश(Court orders)
Shashanadesh subject | Honourable Court Name | Judgment number | Download now |
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संविधान के 103वें संसोधन की वैधता ,जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शैक्षणिक संस्थानों के साथ साथ नौकरियों में आरक्षण प्रदान करता है ,को बनाए रखने के विषय में | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | WRIT PETITION (C) No. 55 of 2019 | Download now |
धर्म के प्रचार प्रसार के अधिकार में बलपूर्वक धोखाधड़ी या प्रलोभन द्वारा धर्म परिवर्तन का अधिकार शामिल न होने विषयक | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | 1977 AIR 908 1977 SCR (2) 611 1977 SCC (1) 67 | Download now |
असामान्य परिवार और समान लिंग वाले जोड़े कानून के तहत समान सुरक्षा और सामाजिक कल्याण कानून के तहत उपलब्ध लाभों के पात्र होने के विषय में। | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | Petition(s) for Special Leave to Appeal (C) No(s).7772/2021 | Download now |
राजीव गांधी मंत्रालय ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 पारित किया, जिसने इस फैसले को कमजोर कर दिया और भरण-पोषण और गुजारा भत्ता के अधिकार को प्रतिबंधित कर दिया, जिसकी फैसले का विरोध करने वाले मुसलमानों को खुश करने के कदम के रूप में भारी आलोचना की गई।[6][7][ 8][9][10][11] बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने डेनियल लतीफी बनाम भारत संघ मामले और शमीमा फारूकी बनाम शाहिद खान मामले के माध्यम से मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 को प्रभावी ढंग से रद्द करते हुए शाह बानो फैसले को बरकरार रखा। | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | 1985 AIR 945 1985 SCR (3) 844 1985 SCC (2) 556 1985 SCALE (1)767 | Download now |
जनहित याचिका, श्रमिकों के संबंध में विभिन्न श्रम कानूनों के उल्लंघन की गुंजाइश और आवश्यकता एशियन से जुड़े निर्माण कार्य में कार्यरत भारत का संविधान, 1950 कला जैसे खेल। 24, न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948, समान पारिश्रमिक अधिनियम। का रोजगार बाल अधिनियम, 1938 और 1970, अंतरराज्यीय प्रवासी कर्मकार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1970 और अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970-लोकस-स्टैंडी-रिट और उपचारात्मक का रखरखाव राहत जो दी जा सकती है-न्यायालय के कर्तव्यों के संबंध में श्रम कानून-संविधान के उल्लंघन के मामलों में सजा भारत के अनुच्छेद 14, 23, 24 और 32-अनुच्छेद 23 का दायरा "बेगार" का अर्थ कला का उल्लंघन होने पर राज्य का कर्तव्य। 17, 23 व 24 को शिकायत की गयी है. | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | 1982 AIR 1473 1983 SCR (1) 456 1982 SCC (3) 235 1982 SCALE (1)818 | Download now |
भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894-धारा 23(2)-सोलटियम भुगतान-आवश्यकता। उ0प्र0नगर सुधार अधिनियम, 1919-धारा 36(2)- भूमि का अधिग्रहण-मुआवजे का भुगतान-चाहे उत्पन्न हो के विषय में | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | 1991 SCR (1) 389 1991 SCC (4) 212 JT 1991 (1) 461 1991 SCALE (1)215 | Download now |
मुख मैथुन और गुदा मैथुन के कृत्यों को अपराध से मुक्त किया गया, जिससे समलैंगिक यौन संबंधों को प्रभावी ढंग से अपराध से मुक्त किया गया। | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | WRIT PETITION (CRIMINAL) NO. 76 OF 2016 | Download now |
जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार के रूप में संविधान में जोड़ने के संबंध में | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | Writ Petition (Civil) No. 838 of 2019 | Download now |
जिन मामलों में सज़ा सात साल से कम कारावास है, उनमें गिरफ़्तारी एक अपवाद होनी चाहिए | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | Petition(s) for Special Leave to Appeal (Crl.) No(s). 10356/2022 | Download now |
निजता के अधिकार को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में संरक्षित किया गया है, इस प्रकार एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला को खारिज कर दिया गया है के विषय में | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | WRIT PETITION (CIVIL) NO. 494 OF 2012 | Download now |
विवाह का अधिकार वैधानिक अधिकार है, संवैधानिक अधिकार नहीं। इसलिए, केवल संसद ही गैर-विषमलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह को मान्यता दे सकती है के विषय में। | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | Writ Petition (Civil) No. 1011 of 2022 | Download now |
कानून में ट्रांसजेंडर को 'तीसरे लिंग' के रूप में मान्यता दी गई और पुष्टि की गई कि भारत के संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकार उन पर समान रूप से लागू होंगे। | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | WRIT PETITION (CIVIL) NO.400 OF 2012 | Download now |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66ए में पेश किए गए ऑनलाइन भाषण पर प्रतिबंधों को हटा दिया गया के विषय में। | माननीय सर्वोच्च न्यायालय | MISCELLANEOUS APPLICATION NO.901 OF 2021 | Download now |
डी.वी. अधिनियम - अनिवार्य रूप से नागरिक प्रकृति की राहतें, वैधानिक प्रावधानों में आवश्यक सहवर्ती के रूप में पढ़े जाने वाले संशोधन की शक्ति के विषय में | माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज | MATTERS UNDER ARTICLE 227 No. 339 of 2024 | Download now |
धारा 200/204 सीआरपीसी- मजिस्ट्रेट द्वारा जांच केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या प्रक्रिया जारी करने का प्रथम दृष्टया मामला रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर बनता है। निर्णय/आदेश के विषय में | माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज | MATTERS UNDER ARTICLE 227 No. 3254 of 2024 | Download now |
राज्य संशोधन केंद्रीय अधिनियम पर हावी होगा; आईपीसी की धारा 376(3) के तहत अपराध करने के आरोप में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से संबंधित गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए आवेदन विचारणीय होगा। निर्णय/आदेश विषयक | माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज | CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION U/S 438 Cr.P.C. No. 1135 of 2024 | Download now |
रिमांड आदेश के अनुसरण में कार्यवाही की समाप्ति के बावजूद रिमांड के आदेश के विरुद्ध समीक्षा कायम रखी जा सकती है के विषय में | माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज | CIVIL MISC REVIEW APPLICATION No. 417 of 2023 | |
मां की मृत्यु के बाद नानी के पास नाबालिग लड़की की कस्टडी, जीडब्ल्यूए और लागू व्यक्तिगत कानून के प्रावधानों के मद्देनजर प्रथम दृष्टया अवैध नहीं है के विषय में | माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज | HABEAS CORPUS WRIT PETITION No. 83 of 2024 | |
भू-राजस्व अधिनियम (कृषि भूमि) के तहत दाखिल खारिज की संक्षिप्त कार्यवाही में दस्तावेज़ की वास्तविकता नहीं देखी जा सकती है। दाखिल खारिज कार्यवाही में राज्य प्राधिकारियों द्वारा या इस न्यायालय द्वारा उपरोक्त में शामिल किसी भी बात को याचिकाकर्ता द्वारा कानून के अनुसार शुरू की गई उचित कार्यवाही में बाधा डालने वाला नहीं माना जाएगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस न्यायालय द्वारा अपंजीकृत वसीयत के आधार पर दाखिल खारिज से इनकार करने वाले आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। | माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज | WRIT - C No. - 1570 of 2017 | Download now |